Quran Surah 2 Ayat 230 in Hindi | 2025

Table of Contents

Surah Al-Baqarah Ayat 230 in Hindi | सूरह बकरा आयत 230 का अर्थ और तफ्सीर


परिचय (Introduction)

कुरान शरीफ की सूरह अल-बकरा, जो कि दूसरी सूरह है, उसमें तलाक और हलाला जैसे संवेदनशील विषयों पर विस्तार से मार्गदर्शन दिया गया है। आयत surah 2 ayat 230 in hindi इस्लाम में तीन तलाक के बाद पुनर्विवाह से संबंधित नियमों को स्पष्ट करती है। इस आयत के माध्यम से अल्लाह ने शादी, तलाक और हलाला की सीमाएं तय की हैं जिन्हें “हदूदुल्लाह” (अल्लाह की सीमाएं) कहा गया है।


Surah Al-Baqarah surah 2 ayat 230 in hindi Arabic – सूरह बकरा आयत 230 अरबी में

فَإِنْ طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهُ مِنۢ بَعْدُ حَتَّىٰ تَنكِحَ زَوْجًۭا غَيْرَهُ ۗ فَإِن طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ أَن يَتَرَاجَعَآ إِن ظَنَّآ أَن يُقِيمَا حُدُودَ ٱللَّهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُودُ ٱللَّهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍۢ يَعْلَمُونَ


हिंदी तर्जुमा (Translation in Hindi)

“फिर अगर वह (पति) उसे (तीसरी बार) तलाक दे दे, तो अब वह औरत उसके लिए हलाल नहीं है जब तक कि वह किसी और मर्द से निकाह न कर ले। फिर अगर वह दूसरा पति भी तलाक दे दे, तो कोई गुनाह नहीं उन दोनों पर (पहले पति-पत्नी पर) कि वे फिर से निकाह कर लें, अगर उन्हें लगता हो कि वे अल्लाह की सीमाओं को क़ायम रखेंगे। और ये हैं अल्लाह की तय की हुई हदें, जिन्हें वह समझदार लोगों के लिए साफ़ बयान करता है।”
📚 (सूरह अल-बकरा, आयत 230)

Surah baqarah ayat 230 urdu translation

Surah Al-Baqarah Ayat 230 کا اردو ترجمہ درج ذیل ہے:

فَإِنْ طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهُ مِنۢ بَعْدُ حَتّٰى تَنْكِحَ زَوْجًا غَيْرَهُ ۗ فَاِنْ طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ اَنْ يَّتَرَاجَعَآ اِنْ ظَنَّآ اَنْ يُّقِيْمَا حُدُوْدَ اللّٰهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُوْدُ اللّٰهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍ يَّعْلَمُوْنَ

اردو ترجمہ:

“پھر اگر اس نے (تیسری بار) طلاق دے دی تو اب وہ اس کے لیے حلال نہیں، جب تک وہ کسی دوسرے مرد سے نکاح نہ کر لے۔ پھر اگر وہ (دوسرا شوہر) بھی اسے طلاق دے دے تو ان دونوں (پہلے شوہر اور بیوی) پر کوئی گناہ نہیں کہ وہ (دوبارہ) آپس میں رجوع کر لیں اگر وہ سمجھیں کہ وہ اللہ کی حدود کو قائم رکھیں گے۔ اور یہ اللہ کی حدود ہیں، وہ انہیں ان لوگوں کے لیے بیان کرتا ہے جو علم رکھتے ہیں۔”

📚 (سورۃ البقرہ، آیت 230)

اگر آپ چاہیں تو میں اس آیت کی تفسیر بھی فراہم کر سکتا ہوں؟


मुख्य विषय: तलाक और हलाला का हुक्म

यह आयत साफ़ तौर पर बताती है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक दे चुका है, तो वह औरत उसके लिए तब तक हराम (नाजायज़) है, जब तक कि वह किसी दूसरे मर्द से ईमानदारी से निकाह न करे और वह भी उसे तलाक दे।

हलाला का मतलब योजनाबद्ध नहीं है

इस आयत का मकसद यह नहीं है कि हलाला को योजना के तौर पर अंजाम दिया जाए, बल्कि अगर क़ुदरती तौर पर कोई दूसरा निकाह होता है और वहां भी तलाक हो जाए, तभी पहले पति से दोबारा निकाह संभव है।


तफ्सीर: इस आयत की गहराई से समझ

  • तीन तलाक का असर: तीन बार तलाक के बाद निकाह का रिश्ता पूरी तरह खत्म हो जाता है।
  • दोबारा निकाह की शर्तें: हलाला तभी जायज़ है जब वह इरादतन नहीं, बल्कि क़ुदरतन हो।
  • अल्लाह की सीमाएं (Hudoodullah): इस आयत में बार-बार “अल्लाह की हदों” का ज़िक्र है। इसका मतलब है कि शादियों और तलाक में मज़ाक की कोई जगह नहीं है।
  • फैसला इल्म और हिकमत के साथ: यह आयत खासतौर पर उन लोगों को समझाई गई है जो इल्म रखते हैं और शरियत के नियमों को समझना चाहते हैं।

आम गलतफहमियाँ और उनका समाधान

गलतफहमीहकीकत
हलाला को एक रस्म समझनायह शरीअत के खिलाफ है
गुस्से में या मज़ाक में तलाक देना सही समझनाइस्लाम में तलाक बेहद गंभीर मामला है
हलाला के लिए “निकाह-शुदा” मर्द से सेटिंग करनाशरीअत में ऐसा निकाह और तलाक “नकली” माना जाता है

क्या सीख मिलती है इस आयत से?

  1. रिश्तों की गंभीरता को समझना चाहिए।
  2. तलाक कोई खेल नहीं – इसका दुरुपयोग न करें।
  3. हलाला कोई इस्लामी ‘सॉल्यूशन’ नहीं, एक क़ुदरती स्थिति होनी चाहिए।
  4. कुरान की आयतों को सही तरीके से समझना और उस पर अमल करना जरूरी है।

(Conclusion)

Surah Al-Baqarah की आयत 230 हमें यह सिखाती है कि शादी और तलाक जैसे विषयों में हमें भावनाओं से ज़्यादा शरीअत के कायदों को महत्व देना चाहिए। इस्लाम में औरत और मर्द दोनों के अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए यह आयत एक मार्गदर्शक की तरह है।

FAQs – सूरह बकरा आयत 230 से जुड़े सामान्य प्रश्न


सवाल 1: क्या तीन तलाक के बाद पति-पत्नी दोबारा शादी कर सकते हैं?

जवाब: नहीं, जब तक महिला किसी दूसरे पुरुष से निकाह न कर ले और वह रिश्ता भी किसी कारणवश टूट न जाए (तलाक या मृत्यु), तब तक पहले पति से दोबारा शादी करना हराम (नाजायज़) है।


सवाल 2: हलाला की इस्लाम में क्या हैसियत है?

जवाब: हलाला कोई प्लानिंग करके किया गया निकाह नहीं होना चाहिए। अगर इसे जानबूझकर दोबारा पहले पति से शादी के लिए किया गया हो, तो यह गुनाह है और इसे शरीअत स्वीकार नहीं करती।


सवाल 3: अगर किसी ने गुस्से में तीन तलाक दे दी, तो क्या वह मान्य है?

जवाब: गुस्से में दी गई तलाक के बारे में अलग-अलग उलमा की राय है, लेकिन अधिकतर के अनुसार तीन तलाक गुस्से में भी दी गई हो तो प्रभावी होती है। यह गंभीर मसला है, इसलिए किसी योग्य इस्लामी स्कॉलर से राय लेना जरूरी है।


सवाल 4: क्या हलाला के बाद दोबारा पहले पति से निकाह पूरी तरह जायज़ होता है?

जवाब: हाँ, अगर दूसरा निकाह ईमानदारी से हुआ था और वहां से तलाक या पति की मृत्यु हो गई, तब पहले पति से निकाह करना जायज़ है। लेकिन इसमें धोखा या प्लानिंग नहीं होनी चाहिए।


सवाल 5: क्या तलाक मज़ाक में भी हो जाती है?

जवाब: हाँ। शरीअत में तलाक, निकाह और रजाअ (तलाक के बाद वापसी) को मज़ाक में भी कहा जाए तो वह वैध हो जाता है। इसलिए यह बहुत गंभीर विषय है।


सवाल 6: क्या हलाला सिर्फ शरीअत की शर्तें पूरी करने के लिए होता है?

जवाब: बिल्कुल नहीं। हलाला को इस्लाम ने हल नहीं, ज़रूरत की स्थिति में एक उपाय के रूप में रखा है। इसे व्यापार या सामाजिक रिवाज बनाना शरीअत का अपमान है।


Leave a Comment